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प्रेम शब्दो मे नही, अहसास में दिखता है

प्रेम का कोई शास्त्र नही है।
न कोई
परिभाषा है
 न प्रेम का कोई सिद्धांत है

प्रेंम तो एक अहसास है जो इसे महसूस कर सकता है
वही प्रेम को देख सकता हैं। ओर पढे

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