शिल्प छेनी से करे सपनो को साकार
अनगढ़ पत्थर से रचें मनचाहा आकर।
माटी रखकर चाक पर घड़ा घड़े कुम्हार,
श्रेष्ठ गुरु मिल जाये तो शिष्य पाये संस्कार,ओर पढे।

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